केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को एक विशेष निर्देश जारी किया जिसके अनुसार अब प्रत्येक अस्पताल में मनोरोग सम्बन्धी सुविधाएं उपलब्ध कराई जायगी जो कोरोना से पीड़ित मरीज़ो के मानसिक स्वास्थय को बेहतर बनाने का कार्य करेगी|
स्वास्थय मंत्रालय के अनुसार कोरोना की बीमारी के बाद से कई लोगो को मानसिक स्वास्थ्य से जूझते पाया गया हैं| कोरोना के समय नौकरी खोने, घर नहीं जा पाने, आर्थिक तंगी, लगभग तीन माह के सख्त लॉकडाउन, जमा-पूंजी ख़र्च हो जाने व कोरोना के डर से कई लोगो में तनाव उत्त्पन्न हो गया है| जिसके कारण हमने कई ऐसी खबरे सुनी है जिनसे यह पता लगता कि लोगो के व्यवहार में काफी बदलाव आया हैं, लोगो में अब अनिंद्रा, तनाव, क्रोधित प्रवर्ति आदि आसानी से देखी जा सकती है जो कि चिंताजनक है|
इस कारण केंद्र सरकार ने इसकी पहल करते हुए प्रत्येक कोरोना मरीज़ के लिए यह सुविधा प्रदान की है, इसके अनुसार कोरोना वार्ड में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर ही मरीज की मानसिक स्तिथि का परीक्षण किया जायगा| इसके लिए एक मनोचिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ पीपीई किट पहनकर कोरोना मरीज़ के पास उनका परीक्षण करने के लिए जायेंगे|
इस गाइडलाइन में यह भी बताया गया है कि अगर कोई कोरोना मरीज़ जाँच में असहयोग करता है तो उस मरीज़ के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जायगी ताकि मरीज़ को जाँच के लिए बेहोश ना करना पड़े| दस्तावेजों में बताया गया है की अगर किसी रोगी का मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं पाया जाता है तो उसके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जायगा और ना ही बिना चिकित्सक परामर्श के कोई भी दवा दी जायगी या पहले से ली जा रही दवा को लेने से रोका जायगा| भारत सरकार के इस फैसले से कोरोना से संक्रमित मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने में सुविधा मिलेगी|