देश की राजधानी दिल्ली के हिंदू राव, कस्तूरबा गांधी, राजन बाबू समेत कई अस्पतालों में तीन माह से वेतन ना मिलने से पूरा नर्सिंग स्टाफ हड़ताल करने पर मजबूर हो गया था l इस हड़ताल की शुरुआत पिछले महीने के अंतिम सप्ताह से हुई। सभी ने प्रशासन से उम्मीद लगाई थी कि जल्द ही उनकी मांग को मान लिया जायेगा, पर उनकी मांग पूरी होने में 2 सप्ताह से अधिक का समय लग गया। इसे ख़त्म करने का प्रयास प्रशासन ने देरी से किया और अंत में जाकर हड़ताल को समाप्त कराया तथा उन सभी को उनका तीन माह का बकाया वेतन जल्द देने की घोषणा की गई l
कोरोना से जिस समय पूरा भारत डरा हुआ था, उस कठिन समय मे पूरी जिम्मेदारी से ये सभी अपना काम कर रहे थे, लेकिन जब इन्हें तीन माह से वेतन नही मिला तो वह इससे परेशान होकर वेतन का इंतजार करने लगे, ओर इस इंतजार ने हड़ताल का रूप ले लिया था।
इसकी शुरुआत नर्सेज वेलफेयर एसोसिएशन (NWA) के नेतृत्व में हुई, जिससे बाद से कई नर्सिंग एसोसिएशन जुड़ गये। लेकिन मांगे पूरी होने के बाद एसोसिएशन ने हड़ताल के अंत की घोषणा की, तब सभी डॉक्टर व नर्सेज अपने काम पर लौट आये ओर उन्होंने जनता का इलाज शुरु कर दिया l
NWA ने उत्तर दिल्ली के मेयर जय प्रकाश को पत्र लिखकर तीन महीने का वेतन जल्द दिलाने की मांग की थी। इस हड़ताल के शुरू होने के बाद से सभी डॉक्टर व नर्स ने अपने काम का बहिष्कार कर दिया था। इसके कारण आम जनता को बहुत परेशान होना पडा, पहले से ही कोरोना महामारी से परेशान जनता इस नई परेशानी से जूझने लगी।
नर्सेज वेलफेयर एसोसिएशन (NWA) की प्रमुख इंदुमती जम्वाल ने बताया था कि उन्हें उम्मीद है कि यह हड़ताल लंबे समय तक जारी नहीं रहेगी और हमारे मुद्दों को जल्द ही सुलझाया जाएगा। साथ ही उनका कहना था कि कोरोना के समय अपनी जान को जोखिम में डालकर जन सेवा करने के बाद भी वेतन नही मिलना बहुत दुःखद था। वेतन ना मिलने के कारण उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पडा l स्टाफ के कुछ लोग अपनी जरूरतों को पूरी करने में असमर्थ हो गये l
सभी को आशा थी कि अब उनकी मांग को मानकर उन्हें जल्द ही वेतन दिया जायेगा, जिसके बाद वह फिर से अपने काम पर लौट सके लेकिन इसमें दो हफ्तों से ज्यादा का समय लगा, जो परेशान करने वाला था l
शुरू में उनकी हड़ताल को खत्म करने के बजाय आम आदमी पार्टी व बीजेपी ने एक-दूसरे पर आरोप लगाना शुरू कर दिया जो निर्णय में देरी का कारण बना। दिल्ली सरकार ने उन हॉस्पिटल्स में भर्ती कोरोना मरीज़ों को अन्य अस्पतालो में भर्ती करवाया, जो कोरोना मरीज़ों के लिए बहुत कठिन रहा।