एक तरफ डॉक्टर्स और नर्स को कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित किया जा रहा है। वही दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से एक नर्स का गेरकानूनी मामला सामने आया है। नर्स पर आरोप लगाया गया है कि उसने महिला की डिलीवरी के दौरान वीडियो बनाया।
मामला प्रदेश की राजधानी भोपाल के फंदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है। पीड़ित महिला ने खजुरी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाई और बताया कि डॉक्टर्स की गैर मौजूदगी में उसकी डिलीवरी की गई। नर्सों ने उसकी डिलीवरी के दौरान उसके प्राइवेट पार्ट्स का वीडियो बनाया। महिला के मना करने के बावजूद वीडियो बनाया गया। पीड़िता ने बताया कि उसने नर्स को फ़ोन पर बात करते हुए सुना कि मैन वीडियो बना लिया है। महिला ने ये भी बताया कि वंहा पर दो नर्स झगड़ने लगी, गाली गलोच करने लगी।
पीड़िता ने 1अगस्त को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जब पुलिस से जानकारी ली गई तो पुलिस ने कहा कि कार्रवाई चल रही है, लेकिन जब पीड़ित से पूछताछ पर पता चला कि कोई जांच नही हुई है और न ही पुलिस स्टेशन से पूछताछ के लिए कोई आया। एक हफ्ता हो गया, पुलिस ने इस मामले पर कोई कार्रवाई नही की। इस गंभीर मामले में पुलिस का इस तरह लापरवाही करना पीड़िता के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। अगर ये वीडियो किसी गलत उपयोग में लिया जाता तो पीड़िता के लिए बहुत दर्द भरा हो सकता था। महिला ने अब जिला कलेक्टर को शिकायत दर्ज कराई है।
स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अफसर ने मामले की जांच कराने का आदेश दिया है, जांच के बाद फ़ैसला लिया जाएगा।
मरीज की प्राइवेसी नर्सिंग प्रैक्टिस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। किसी भी प्रकार का वीडियो बनाने से पहले लिखित में सहमति जरुरी है।
हालांकि सहमति से वीडियो बनाया जाना कोई अपराध नही है जब तक कि मरीज़ की पहचान वीडियो में प्रदर्शित नही की गई हो, इसके अतिरिक्त उसका उपयोग किस लिए किया जाएगा उसका विवरण भी बताया जाना जरूरी है। सर्जरी सेंटर में डॉक्टर की टीम द्वारा वीडियो बनाया जाता रहा है ताकि एजुकेशन और रिसर्च के लिये उपयोग में आ सके।